रामनगर किले में कीजिए दक्षिणमुखी काले हनुमान जी का दर्शन, साल में बस एक दिन खुलता है कपाट

रामनगर किले में कीजिए दक्षिणमुखी काले हनुमान जी का दर्शन, साल में बस एक दिन खुलता है कपाट

 

शरद पूर्णिमा के दिन होता है दर्शन

वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में स्थित रामनगर के किले में स्थापित काले हनुमान जी के बुधवार को दर्शन होंगे। साल में एक बार खुलने वाले इस मंदिर में दर्शन पूजन के लिए पूरे देश से आस्थावानों का रेला उमड़ता है। शाम में 5 बजे एक बार फिर वर्ष भर के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। राज परिवार के अनुसार यह मूर्ती किले में कहां से आई किसी को नहीं पता हां रामभक्त हनुमान ने महाराजा बनारस को स्वप्न में आकर इसकी जगह बताई थी और उसी स्थान पर इसकी स्थापना की गई है। रामनगर की रामलीला के अंतिम दिन जिस दिन राजगद्दी का मंचन भोर में महताबी की रौशनी में होता है उसी दिन इस मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं।

स्वप्न में मूर्ति का चला था पता- काशी के रामनगर किले में स्थित यह प्रतिमा काले पत्थर की और हनुमान जी के प्रतिरूप माने जाने वाले वानर स्वरुप में हैं। ख़ास बात ये कि इस प्रतिमा के वानर शरीर पर पाए जाने वाले रोएं की तरह रोएं भी हैं जिन्हे साक्षात देखा जा सकता है। यह मूर्ती इस किले में कैसे स्थापित हुई और कहां से आई ? इसके पीछे मान्यता है कि कई सदियों पहले महराज बनारस को एक स्वप्न में किले के पिछली तरफ जिधर गंगाजी का प्रवाह है वहां एक वानर रुपी हनुमान जी की प्रतिमा है और जिसने उन्हें यह स्वप्न में आकर बताया उसने ही इसे किले में स्थापित करने को कहा। इसपर काशी नरेश ने विशवास कर खुदाई कराया तो काले हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा मिली और उसकी स्थापना की गई।

त्रेता युग से बताया जाता है संबंध- जानकारों की मानें तो काले हनुमान जी का संबंध त्रेता युग से है। यह उस समय की बात है जब प्रभु श्रीराम, माता सीता को ढूंढने के लिए रामेश्वरम से लंका जाने के लिए समुद्र से रास्ता मांग रहे थे। समुद्र ने उन्हें हम वनवासी समझ कर अहंकार में रास्ता देने से इंकार कर दिया। इसपर उन्होंने अपनी प्रत्यंचा पर समुद्र को सुखाने का तीर चढ़ा लिया तो समुद्र ने प्रकट होकर उनसे क्षमा याचना की और रास्ता देने को कहा पर धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ा बाण वापस नहीं लिया जा सकता था।

श्रीराम ने प्रत्यंचा पर चढ़ चुके उस बाण को पश्चिम दिशा की ओर छोड़ दिया। इसी समय बाण के तेज से धरती वासियों पर कोई आफत ना आए इसके लिये हनुमान जी घुटने के बल बैठ गये। ताकि धरती को डोलने से रोका जा सके। वहीं, श्रीराम के बाण के तेज के कारण हनुमानजी का पूरा देह झुलस गया। इस कारण उनका रंग काला पड़ गया।

राजगद्दी के दिन होता है दर्शन-भगवान हनुमान की यह प्रतिमा यहां कैसे आई यह किसी को नहीं पता। बाद में जब यहां रामलीला शुरू हुई तो अंतिम दिन राजगद्दी के मंचन के बाद भगवान श्रीराम के अन्यन भक्त हनुमान जी के दर्शन कराए जाते हैं। वाराणसी ही नहीं पूरे देश से लोग काले हनुमान जी की इस नायाब प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं।

Related post

टाटा मोटर्स ने लखनऊ और रायपुर में एडवांस्‍ड रजिस्‍टर्ड व्‍हीकल स्‍क्रैपिंग फैसिलिटी का किया शुभारंभ

टाटा मोटर्स ने लखनऊ और रायपुर में एडवांस्‍ड रजिस्‍टर्ड…

  वाराणसी। भारत की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने पर्यावरण के अनुकूल मोबिलिटी और सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने की…
विश्व डेंगू दिवस के मौके पर ऑल आउट इंडिया ने हंस फाउंडेशन के साथ मिलकर डेंगू-मुक्त भविष्य की दिलाई शपथ

विश्व डेंगू दिवस के मौके पर ऑल आउट इंडिया…

  वाराणसी । विश्व डेंगू दिवस के अवसर पर मच्छरों के कारण फैलने वाली बीमारियों के बढ़ते खतरों को देखते हुए…
फिल्मकार अमोल भगत को ह्यूस्टन ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल के लिए जूरी सदस्य नियुक्त किया गया

फिल्मकार अमोल भगत को ह्यूस्टन ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल के…

  मुंबई।   टेक्सास (यूएसए) के जीवंत और विविधता से भरपूर शहर ह्यूस्टन में संचालित ब्लैक इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स एसोसिएशन (BIFA) द्वारा आयोजित…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *